Wednesday, November 12, 2008

बचपन की बारिश

मेरे बचपन की बारिश

बचपन मे जब बारिश आती थी
और बादल भी गरजता था,
होकर नंग धडंग नहाता,
ऊछल कूद खूब करता था
माँ बाबू जी कितना बोले
अलमस्ती मे रहता था।
भईया की किताबों से
पन्ने खुब चुराता था
कागज की नाव बनाता था
और पानी मे बहाता था
एक नही हर बारिश मे
बस ऐसा ही करता था।
भीग भाग कर जब घर पँहुचू
माँ तो डाँट सुनाती थीं
भीगा बदन हमारा होता
उसको वो सुखाती थी
छीक- छीक कर हाल बुरा जब
माँ ही विक्स लगाती थी
कल से नही शैतानी होगी
माँ से ऐसा कहता था
एक नही हर बारिश मे
बस ऐसा ही करता था।
एक नही हर बारिश मे
बस ऐसा ही करता था।


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